No comments yet

श्रीमद् गंगा माता आरती


गंगा जन्मोउत्सव दशहरा
ॐ जय गंगा माता,माता जय गंगा माता..
जो करता स्नान तुम्हीं में-2,मनवांछित फल पाता।ॐ जय गंगा माता।।
मोक्ष कमल और सोम हाथ में,हो मकरासन आसीन-2..माता..
श्वेत वस्त्र पूर्णिमाँ की आभा-2,चार वेद अतुल वरदीन।ॐ जय गंगा माता।।
पितृदोष को तारण हेतु,तुम जग में आई मात-2..माता..
भगीरथ की तप सेवा से तुम,प्रकट ब्रह्म कमंडल धार-2..माता..
आशीष श्री हरि पाकर-2,ले वर शिव जटा विहार।ॐ जय गंगा माता।।
पार्वती की तुम बड़ी बहिना,पूर्णिमाँ तुम स्वरूप-2.माता..
दसों विद्या की दाता-2,यूँ पूज्य दशहरा अनूप।ॐ जय गंगा माता।।
पार्वती की तुम बड़ी बहिना,पूर्णिमाँ तुम स्वरूप-2.माता..
दसों विद्या की दाता-2,यूँ पूज्य दशहरा अनूप।ॐ जय गंगा माता।।
इस जग में अमृत जीव को देती,जीते जी दो मोक्ष-2..माता..
भेद जीव ना करती-2,बांटो अमृत बन माँ सोक्ष।ॐ जय गंगा माता।।
मरे जीव या मनुष्य हो कोई,तेरे अंचल शरण हो जल-2.माता..
नर मुनि कीट पतंगा-2,सबके तारण तुम्हीं अचल।ॐ जय गंगा माता।।
मंत्र तंत्र यंत्र सभी सिद्धि,तेरे निकट मिले सब फल-2..माता..
पी गंगा जल तेरा-2,मिटे संकट कष्ट विकल।ॐ जय गंगा माता।।
हर हर गंगे माँ जो कहता,वो पाये त्रिभुवन लोक-2..माता..
करे आरती पी गंगा जल-2,वो तारक पाये आलोक।।ॐ जय गंगा माता।।
बोलो?माँ गंगा माता की जय?

Post a comment