गुरु ही नवग्रह देवता
गुरु ही सर्व फलदात्र।
गुरु जीवंत घड़े
बना सभी दे पात्र।।
गुरु सर्व दोष निवारक
दे शीघ्र निर्भय आशीष।
कर्म बिन करे फल दे
तभी गुरु जीवित है ईश।।
जिस बुद्धि ये ज्ञान है
वही जीवंत हो मुक्त।
एक गुरु को छोड़कर
भजे निज में कर युक्त।।
गुरु ही ध्यान गुरु ही ज्ञान
गुरु मंत्र विधि एक।
गुरु तन में भ्रमण तीर्थ
वही शिष्य सिद्ध अतिरेक।।
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