और आगे चलकर यही विधि मैने स्वत अन्तः प्रेरणा से अपने सिद्धासिद्ध महामंत्र सत्य ॐ सिद्धायै नमः मन्त्र को जपते हुए लोंगो से भक्तों को करायी उन्हें लाभ हुआ बस यहाँ देवी मंत्र के स्थान पर ॐ श्री गुरुवायै नमः अपने भक्त की कर मनसा पूरी..के ग्यारह बार जप करते ज्योत पर बाकि सारी पूर्व लिखी विधि से करने को बताई भक्तों को लाभ और अनुभव हुए जिन्हें देख ये पता चला की ये सब गुरु कथन आज्ञा में श्रद्धा रख करने का ही प्रताप है जैसा गुरु कहे वैसा करने से शिष्य का अवश्य कल्याण होता है।
यहाँ ज्ञान ये है की भक्ति सरलता और ईश्वर आश्रित रहकर सहज भाव से बिना फल की इच्छा किये जो भी जैसा भी कर्म यानि पूजापाठ करोगे वही फलेगा लाभ अवश्य देगा
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