गुरु जीवित ब्रह्मदेव।
गुरु जीवित विष्णु परम्
गुरु जीवित है महादेव।।
गुरु मंत्र महामंत्र है
गुरु तारक मंत्र भवसागर।
गुरु जीवित विद्या परम्
गुरु जीवित अमृत गागर।।
गुरु सेवा तारण मोक्ष है
गुरु वाक्य वेद जीवन्त।
गुरु ध्यान आत्म जागरण
गुरु जीवंत पुराण किवदंत।।
गुरु अवज्ञा महादोष है
गुरु उपेक्षा हत्यादोष।
गुरु नमन सर्वदोष हरण
गुरु स्मरण वर नही शब्दकोष।।
गुरु जीवंत प्रेम अमर
गुरु नाम जीवंत ईश।
जय गुरु जीवंत सत्य
गुरु अखंड वरदाता आशीष।।
गुरु से जुड़ा जो भक्त
चतुर्थ सुख जीवंत पाये।
गुरु त्याग विपत्ति नरक
गुरु शरण तुरंत स्वर्ग पाये।।
गुरु जीवंत शिष्य शुभकर्म
गुरु जीवंत शिष्य शुभ भाग्य।
गुरु जीवंत एक मात्र महाव्रत
गुरु जीवंत पूर्णिमाँ अहोभाग्य।।