भारत की ये गर्वित सेना
अमन को अर्पित भारत सेना।
सुख देती दुःख स्वयं ग्रहण कर
सेना देश का स्वर्णित गहना।।
दुर्गम छेत्र है पहरा देती
भीषण गर्मी सर्दी सहती।
परिवार है इनका सारा भारत
उसी की सुरक्षा सजग ये रहती।।
जहाँ भेजती इन्हें सरकार
वही निभाती दायित्त्व अपार।
प्राण बचाती अपने प्राण दे
नित आये देश यही समाचार।।
आज कश्मीर में हाल ये देखों
वहाँ क्या हो रहा अत्याचार।
जिनकी सेना रक्षा करती
उन्हीं पे पत्थरबाज कर रहे वार।।
भारत इनको शिक्षा देता
और देता नित नए रोजगार।
सड़के अस्पताल पर्यटन देता
और सुरक्षा देता सेना दे भार।।
जेहादी बना रहा धर्म नाम
ये कर्म कर रहा पाकिस्तान।
लोगो को हथियार हाथ में दे
भविष्य बिगड़ रहा पाकिस्तान।।
धन का निरन्तर लोभ दे
इन्हें अपने चंगुल फसाता।
कोम नाम क़ुरबानी देना
इन्हें भ्रम का पाठ पढता।।
कोई लात मारता फ़ोजी को
कोई गंदी गाली देता।
कोई सीनाज़ोरी करता आता
कोई इन्हें देख थूक देता।।
छोटे बच्चों की लेकर आड़
और औरतों करके आगे।
छिप करते आघात फौज पर
और फेंक बम्ब फिर भागे।।
बुर्का में अपनी शक्ल ढ़क
और विद्यार्थी बन स्कुल।
धर्म करते कलंकित अपना
फेकते पत्थर बना महजब को तूल।।
सेना का संयम सब देखो
केवल बचाव कार्य करती।
दंडित सदा उपद्रवी करती
और उपद्रव निगरानी करती।।
आतंकवाद का विरोध हम करते
और सेना की प्रसंसा।
डटे रहो हे देश के वीरों
मिटा रहे सर्प आतंकी दंशा।।
आज देश का मनोबल सेना
इसे सभी देशवासी अवश्य बढ़ाये।
सेना ही आतंकवाद मिटायें
जय हिंद जय सेना हम नमन नवाएँ ।।
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