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गुप्तनवरात्रि “अम्बूवाची” पर्व (24 जून से 3 जुलाई तक)

प्रागज्योतिषपुर कामख्या
कामकोटि महानारि पीठ।
योनिमुद्रा गुप्तनवरात्र प्रकाशे
नारी मूलाधार कुंडलिनी श्रीभग पीठ।।
धरा प्रकर्ति मूलाधार यहीं
कामाख्या तीर्थ स्थान।
गुप्त नवरात्रि जाग्रत हो
कुंडलिनी उर्ध्व मुख सहस्त्रां।।
मूलाधार चक्र प्रफुटित हो
और विस्फोटिक होता कुम्भ।
बिखर जाती ऊर्जा सर्वत्र जग
रजगुणी रजस्वला इस धम्म।।
जिस नारी रजस्वला इस समय
वह अति पूजनीय इस दिन।
वासे प्रत्यक्ष देवी उस नार
मंत्र तंत्र सिद्धि फले अभिन्न।।
अम्बू अर्थ जल है
वाची अर्थ उत्फुलनन।
रज्जवला जल नारी योनि
अम्बूवाची नार रजस्व स्खलन।।
आषाढ़ माह मृगशिरा आर्द्रा
मध्य दोनों चतुर्थ चरण।
पृथ्वी संग गंगा सप्त नदी नार
रजस्वला वर्जित स्नान करण।।
प्रचंड होती धन शक्ति इस दिन
पृथ्वी धन शक्ति प्रसार संचार।
जो धारण करता ध्यान जप
मिले धन शक्ति सिद्धि अपार।।
जिस घर श्री भगपीठ वास
होता जल सिंदूर अभिषेक।
सुखी सम्पन्न प्रसन्न जन
नित बढ़े परिवार श्रीषेक।।
पूर्णिमासी जले अखंड ज्योत
और व्रत हो अल्पाहार।
सत्य ॐ सिद्धायै नमः जपे
पूर्णिमाँ कृपा अपरमपार।।

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