इस कथा से ये ज्ञान मिलता है की अनगिनत भक्त सिद्धि की लालसाओं में फंसे तांत्रिको के पास भटकते हुए ऐसे ही धन तन और जाने कितने प्रकार की पीड़ा उठाते है जिसका निदान फिर असम्भव हो जाता है यो केवल सहज ही गुरु मंत्र का विधिवत जप ध्यान करने पर स्वयमेव ही अशुभ कर्मों का नाश होते होते शुभकर्मों के विकास होने से शुभ भाग्य की प्राप्ति समयानुसार होकर भविष्य सुखमय व्यतीत होता है यो सामान्य तौरपर केवल किसी भी मन्दिर की झाड़ू पोंछा सेवा अवश्य करो और वहीं बैठ का ईश्वर का ध्यान करो और प्रार्थना करो की शुभकर्म बढ़े और सदगुरू की प्राप्त होकर कल्याण हो।
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