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*गाय की पूर्णिमाँ आरती महिमा*

गो-आरती
ॐ जय गाय माता,ॐ जय श्रीधेनु माता-2..माँ..
तुम पूर्णिमाँ अवतारी-2,तुम श्री विद्या ज्ञाता।
ॐ जय गाय माता।।
श्वेत रूप पूर्णिमा प्रकाशे,दूध में अमृत सोम-2..माँ..
जिस घर तेरा निवासा-2,करें नवग्रह मंगल होम।ॐ जय गाय माता।।
काले रूप में कामधेनु हो,गेरू रंग तप जप वास-2..माँ..
श्वेत रूप में श्री सदा दो-2,मिश्रित रंग दुःख विनाश।ॐ जय गाय माता।।
दूध दही घी मूत्र और गोबर,मानुष करें कल्याण-2..माँ..
खुर की ध्वनि घर दुःख हरती-2,गले घँटी अकाल त्राण।ॐ जय गाय माता।।
एक सींग में ब्रह्मस्त्र वासे,दूजे पाशुपात..-2..माँ..
तुम केवल दाता हो दानी-2,यो करो ना किसी विनाश।ॐ जय गाय माता।।
ओँकार से नाँद हुंकारों,संग वेद गायत्री मंत्र-2..माँ..
जीवन की वायु तुम देती-2,हर सांस से अमृत तंत्र।ॐ जय गाय माता।।
धर्म को धारण कुभ पीठ निज,करे नेत्र से ममता दान-2..माँ..
माथे स्वास्तिक धारी-2,निज पूंछ ॐ है शान।ॐ जय गाय माता।।
त्रिदेव देह में तेरी बसते,त्रिदेवी और त्रिलोक-2..माँ..
चौदह भुवन देव संग बसते-2,तू जीवंत गुरु भूलोक।ॐ जय गाय माता।।
जिस घर तेरा वासा होता,होती वृद्धि वंश-2..माँ..
तेरी सेवा जो भी करता-2,मिटे पाप हर दंश।ॐ जय गाय माता।।
जो करता तेरे तन की सेवा,रोग दोष हो दूर-2..माँ..
चरण जो छूता प्रातः सायं-2,इष्ट सिद्धि हो भरपूर।ॐ जय गाय माता।।
तेरा चरणामृत जो नित पीता,गोमूत्र डाल कर स्नान-2..माँ..
बारह कुम्भ तीर्थ फल मिलता-2,तुझे ध्याय पाय आत्मज्ञान।ॐ जय गाय माता।।
जौं आटे की लोई देता,या गुड़ देता रोटी पाँच-2..माँ..
चौथ अष्टमी पूर्णमासी-2,उस घर कभी ना दुःख दे आंच।ॐ जय गाय माता।।
जो श्रद्धा रख पढ़े आरती,मनवांछित हो सब काम-2..माँ..
भूमि कीर्ति यश अतुलित धन-2,अंत में पाये गोलोक धाम।ॐ जय गाय माता।।
स्वामी सत्य साहिब जी रचित श्रीमद् गाय माता आरती महिमा सम्पूर्ण
बोलो?जय जय गाय माता?

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