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वेलेंटाइन सप्ताह पर पाश्चात्य संस्कृति में ही नहीं भारतीय संस्कृति में भी टेडी बियर का प्रेम उपहार देने की जामवंत व् जामवंती श्री कृष्ण कथा..बता रहें है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी…

वेलेंटाइन सप्ताह पर पाश्चात्य संस्कृति में ही नहीं भारतीय संस्कृति में भी टेडी बियर का प्रेम उपहार देने की जामवंत व् जामवंती श्री कृष्ण कथा..बता रहें है स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी…

[हैप्पी टेडी बियर डे🐼]

जांबवंत जी का जन्म ब्रह्मा जी से ही हुआ था। यह जब जवान थे, तब भगवन त्रिविक्रम वामन जी का अवतार हुआ। तब भगवन बलि के पास तीन पग भिक्षा मांगने गए और बलि तैयार भी हो गया, भगवान ने अपना स्वरुप बढ़ाया और भगवान ने देख़ते ही देखते दो पग से ही पूरा ब्रह्मण्ड नाप लिआ अब भगवान ने बलि को बांधने लगे तब जामवंत जी ने बलि को बांधते हुए प्रभु की सात प्रदिक्षणा कर ली और तब तक प्रभु पूरा बलि को पूरा बांध भी नहीं पाए थे। जब सुग्रीव जी, बलि के डर से ऋषिमुख गिरी पहाड़ पर था तब भी जामवंत जी उनके साथ थे। अब उनके ज्ञान के बारे में बात बता दू की जब राम जी बाली को मारने जाने वाले थे तब भी जामवंत जी ने बताया था की इन सात पेड़ो को एक बाण से भेदेगा वही बाली को मारेगा और ऐसा ही हुआ। एक कथा यह भी हे जब हनुमान जी लंका को जाने वे थे तब भी वह जामवंत जी की सलाह लेकर गए थे। अब उनके बल की बात जब भगवान राम ने रावण क मारा तो जामवन्तजी ने भगवान से ये वर माँगा की मुझे युद्ध में ललकारने वाला कोई हो तब भगवान ने कहा की द्वापर में मैं ही तुम से युद्ध करूंगा और ऐसा ही हुआ।और द्धापर युग में महाभारत से भी जमवन्त जी की कथा है। स्यमंतक मणि के लिये श्री कृष्ण एवं जामवंत में नंदिवर्धन पर्वत (तत्कालीन नाँदिया, सिरोही, राजस्थान ) पर २८ दिनो तक युध्द चला। जामवंत को श्री कृष्ण के अवतार का पता चलने पर अपनी पुत्री जामवन्ती का विवाह श्री कृष्ण द्वारा स्थापित शिवलिंग (जो की रिचेश्वर महादेव मंदिर नांदिया में है) को साक्षी रखकर करवाया।इस युद्ध मे जाम्बवन्त ने यग्यकूप नामक राक्षस का भी वध किया था। हनुमान की माता अंजना ने जाम्बवन्त को अपना बड़ा भ्राता माना था जिससे वह शिवान्श हनुमान के मामा बन गये।तब एक बार बसंत ऋतू में जमवन्ती को अपने पिता की बहुत याद आने पर दुखी देखा,तब श्री कृष्ण ने एक भालू की आकृति का पुतला बनवाया और इन्हें भेंट किया।जिसे देखकर जमवन्ती बड़ी प्रसन्न हुयी।यो इस वेलेंटाइन यानि प्रेम सप्ताह के चौथे दिन टेडी बियर यानि भालू उपहार दिवस पर दिव्य प्रेम प्रेरणा देती स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी की कविता…

!!🐼टेडी बियर डे🐼!!

[एक प्यार ए सफर-4]

अरे आज मेरी मुस्कान की
जाने कहाँ मुस्कान गयी।
क्या चल रहा आपके जहन में
पास होकर भी हो खोयी हुयी।।
मेरे दिल में एक बात भरी
प्यार होता क्या इकहरे बदन।
क्या भरा और भारी हो कोई
उससे इश्क नही उमड़ता जहन।।
ये क्यों आई दिले मोच सोच
और ए खिले दिल क्या खिला राज।
प्यार खिल अंदर से खिलाता तन
तब तन संग नजरें करती नाज़।।
चाहत की पहली नजर
पड़ती मिल नजरें पढ़ चेहरा।
वहाँ जिंदगी की बंदगी है
या उदास बांधे है सेहरा।।
बदन तो बदल जाते है
इकहरे से दुहरे फिर इकहरे।
पर जिस पहली बात से मिला दिल
वही ताउम्र बिन बदले रहे वहीं नजरे।।
बचपन में बहुत मोटा था
और प्रिय था मुझे आलू।
चाल थी ठुमक ठुमक
यूँ लोग बुलाते आ भालू।।
मैं रूठ जाता ये सुनकर
और खाना सब छोड़ देता।
तब माँ मुझे बाँहों में भर
कर प्यार कहती मेरा चेहता।।
तब लाकर एक मेरे जैसा
दिया प्यारा सा खिलौना।
वो मेरे ही जैसा लगता था
दे कहा ले बालू भालू सलोना।।
सफेद तन पे काली आँखें
सिर पे खड़े दो काले कान।
गोल मटोल पेट मोटा
काली नाक नीचे मुस्कान।।
खिल उठा देख उसे
माँ बिन उसी संग सोता।
मैं बड़ा हुआ संग छूट गया
पर अकेलेपन में वो ही होता।।
आज जब तुम्हारी मिली संगत
और मिली जिंदगी मुस्कान।
वो याद आया उसे ले आया
देने तुम्हें दोस्ती की ये पहचान।।
प्यार होता है प्यार से
और प्यार भरे दिलदार से।
तन आज कुछ कल कुछ रहे
पर रहे प्यार प्यारदार से।।
लाओ मुझे दो ये भालू बालू
पा इसे भरा रोमांच निहर।
आज इसी का दिन भी है
मेरे प्यारे हैप्पी डे टेडी बियर।।

क्रमशः-5 प्रोमिस डे….

🌹🌹🌹🐼🌹🌹🌹

सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
Www.satyasmeemission. org

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